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Wednesday, September 2, 2009
मुखिया रामदीन
लेखकः रजनीश शुक्ला ,रीवा (म. प्र.)
गांवों की पंचायती राज व्यवस्था की पोल खोलता एक व्यंग्य । इसमें मुखिया रामदीन को एक ऐसे दीमक के रूप में चित्रित किया गया है जो गांव की संस्कृति को चट कर रहा है ।
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Censure,
humanrights,
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व्यंग्य
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