मैं अकिंचन करुँ निवेदन माँ शारदे आओ चिंतन में
भारतीय संस्कृति प्राचीनतम सबसे प्राचीन है भाषा संस्कृत
मिश्र रोमा यूनान का पतन पर हिंद संस्कृति अभी भी जीवित
वेदों में सब ज्ञान की बातें अपने वेदों पर हमको है मान
चीन को किसने सभ्य बनाया देकर उनको कपडो का ज्ञान
आर्यभट ने पहले सिखलाया गणित में शून्य बड़ा अनमोल
वराहमिहिर ने पहले बतलाया देखो यह पृथ्वी है गोल
आदिकाल से करते आये नौ ग्रहों की पूजा हम रोज
बाकी दुनिया वालो सुन लो बाद में की तुमने यह खोज
दुनिया में आयुर्वेद जो लाये वो थे अपने चरक महान
द्रुत करती सारी गणनाएं वैदिक गणित बड़ी आसान
अमृतसर में सोने का मंदिर सकल विश्व में भारत की शान
कोहिनूर नहीं साधारण हीरा अपितु जगत में भारत की आन
नालंदा और तक्षशिला पूरी दुनिया में थे जाने जाते
संपूर्ण विश्व से विद्यार्थी भारत में थे पढने आते
फाह्यान चीनी विद्यार्थी लिखे अद्वितीय भारत का वैभव
दुनिया तो दुनिया जैसी पर भारत एक अनोखा अनुभव
भारत एक सोने की चिडिया चन्द्रगुप्त का था जब शाशन
घरों में न तालों का प्रचलन देश में था इतना अनुशाशन
अतीत हमारा गौरव शाली जरूरी इसकी गरिमा का ज्ञान
कला और संस्कृति के दम से ही विश्व में है होती पहचान
कहे रजनीश अभी समय है हम अपना अस्तित्व न भूलें
अतीत हमारा गौरव शाली सब जन मिलकर बोलें
आज और कल का भेद भुलाकर आओ मिल जुल गायें
अतीत के गौरव को दुहराकर भारत नया बनायें
रचयिता:"रजनीश शुक्ला, रीवा(म. प्र।)"
*Photo by Dinesh Chandra Varshney for Bharat Nav Nirman Only