Proud to be an Indian

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Monday, November 30, 2009

भारत नव निर्माण (Evolving New India) - प्रार्थना


It's great pleasure to post "prayer" of the initiative "Bharat Nav Nirman (Evolving New India)" today on 1 Dec 2009 (Tuesday). Though it's took a bit time to announce it as we were doing a lot of analysis to finalize it from a list of songs.




निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें !
स्वार्थ साधना की आंधी में वसुधा का कल्याण न भूलें !!
माना अगम अगाध सिंधु है संघर्षों का पार नहीं है
किन्तु डूबना मझधारों में साहस को स्विकार नही है
जटिल समस्या सुलझाने को नूतन अनुसन्धान न भूलें !!
शील विनय आदर्श श्रेष्ठता तार बिना झंकार नही है
शिक्षा क्या स्वर साध सकेगी यदि नैतीक आधार नहीं है
कीर्ति कौमुदी की गरिमा में संस्कृति का सम्मान न भूले !!
आविष्कारों की कृतियों में यदि मानव का प्यार नही है
सृजनहीन विज्ञान व्यर्थ है प्राणी का उपकार नही है
भौतिकता के उत्थानों में जीवन का उत्थान न भूलें !!
कवी - माननीय अटल बिहारी वाजपेयी
*Geet Ganga के सौजन्य से साभार

Saturday, November 28, 2009

बोल दिल्ली तू क्या कहती है ?


लेखक: रजनीश शुक्ला, रीवा (म. प्र.)

रामू काका अस्सी वर्ष की उमर में चाय की चुस्की के साथ ही दिन की सुरुआत करते हैं । मुनमुन बिटिया ने आज उन्हें सुबह से चाय का प्याला नहीं थमाया । सुबह से उनका मन उतरा उतरा सा है । घर में शक्कर ख़तम है क्योकि इस बार सहकारी समिति की दूकान से कई परिवारों को वितरित नहीं की गयी । वितरक ने 3 बोरी शक्कर अकेले ठाकुर साहब के परिवार को दे दी । उनकी बिटिया लाडो की महीने के दूसरे पखवार में शादी जो है ।

चुन्नू और रानी अषाढ़ के पूरे महीने स्कूल नहीं गए । शासकीय प्राथमिक विद्यालय मझियार , सीधी (म. प्र.) की छत से पानी टपकने की वजह से स्कूल के अन्दर पानी जो भरा हुआ है । मास्टर जी भी फूले नहीं समा रहे हैं और खुश क्यूँ न हों ? दोपहर में बच्चो को दिया जाने वाला अनाज उनके घर के लिए जो बच गया ।

बुढापे में नरेश काका के लिए जीविकोपार्जन का एक मात्र साधन उनकी खुद की 2 बीघा जमीन है । जब से तकरीबन आधा बीघा जमीन पटवारी साहब के नक़्शे से गुम हुई है वो आये दिन कचहरी के चक्कर लगाते रहते हैं । जमीन से ज्यादा की कीमत तो वो पेशकार को खिला चुके हैं पर पता नहीं कब न्याय मिलेगा ?

जब भ्रस्टाचार का दर्द मुझसे देखा नहीं गया तो मैंने दिल्ली से पूंछा की इस पर तू क्या कहती है ? दिल्ली ने सीना फुलाकर कहा मैं तो अपना काम इमानदारी से करती हूँ । नीचे के लेवल पर मेरी योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीके से होता नहीं । मुझे इसकी जानकारी बढ़िया से नहीं होती कि राज्य और पंचायतें किस तरह घपला करती हैं । दिल्ली की बातें सुनकर मुझे सुकून मिला कि चलो बापू की शहीद भूमि में तो राम राज्य जीवित है । आखिर पूरे देश से चुनकर आये कर्मठ रास्ट्र सेवक जो यहाँ निवाश करते हैं । मै इस इरादे से लौटने वाला था कि वापस जाकर अपने क्षेत्र के लोगों का दिल्ली के प्रति झूठे भ्रम को तोडूंगा । इसकी इमानदारी का गुणगान करके लोगों का नेताओं के प्रति खोया विश्वाश पुनर्जीवित करूँगा । लेकिन यह क्या ? यह सुबह सुबह कैसी खबर पढ़ रहा हूँ ? दिल्ली नगर निगम में बिना अस्तित्व के हजारो वेतन भोगी ? काल्पनिक कर्मचारियों को करोड़ो का वेतन ? दिल्ली ऐसे 22,853 कर्मचारियों को तनख़्वाह दे रही है जिनका वजूद ही नहीं
है ।


मुझे अपने भोलेपन पे तरश आया कि कैसे दिल्ली ने दिन के उजाले में मुझसे अपना असली चेहरा छिपाया । ट्रेन दिल्ली से 2 घंटे की दूरी तय कर चुकी थी । अखबार को साथ की बर्थ में बैठे एक सज्जन को थमा कर बाहर के नज़ारे देखने लगा । मै मन ही मन सोच रहा था कि पंचायत और जनपद से क्या कहूंगा ? यही कि तुम लोग पैसे लिए बिना काम नहीं करते और दिल्ली तो पैसे लेकर भी काम नहीं करती ।

Thursday, November 26, 2009

Launching The Logo For "Bharat Nav Nirman"

It's great pleasure to launch the logo for "Bharat Nav Nirman" initiative today on 26 Nov 2009 (Thursday).
Designed by: Dinesh Chandra Varshney , Rajneesh Shukla & Vishwjeet Kumar




"Rajneesh"

Saturday, November 21, 2009

आल्हा :हिरोशिमा दिवस- ६ अगस्त (एटम बम की शिकार बालिका सडाको की दास्तान)




रचयिता : चुन्नीलाल

चुन्नीलाल जी झोपड़ पट्टी में निवास करने वाले गरीबों की स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास और उनके बुनियादी अधिकारों के लिए संघर्ष व उनके बच्चों की शिक्षा के लिए काम करते हैं । आशा परिवार एवं जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता तथा भारत नव निर्माण के सहयोगी, सलाहकार वा अतिथि लेखक हैं ।

आल्हा, 6 अगस्त 1945 को जापान देश के हिरोशिमा शहर पर अमेरिका द्वारा किये गए परमाणु बम के हमले में लाखों लोगों की जान जाने और वहां बचे लोगों को खून का कैंसर होने, की याद दिलाता है ताकि जापान की एक बालिका की तरह लोग खून के कैंसर का शिकार न हों और परमाणु बम, मिसाइल, बारूद जैसी चीजें जो मानव,पर्यावरण,पशु-पक्षी,जीव-जंतु सभी के लिए प्राण घातक हैं, लोग इनका विरोध करें । चुनीलाल जी द्वारा दिया गया शांति सन्देश 18 अगस्त 2009 को "सिटिज़न न्यूज़ सर्विस " में भी प्रकाशित हुआ है । भारत नव निर्माण के द्वारा यह सन्देश जन-जन तक पहुचाने में प्रशन्नता का अनुभव हो रहा है । चुन्नीलाल जी का भारत नव निर्माण के सयोगी , सलाहकार वा अतिथि लेखक के रूप में हार्दिक अभिनन्दन बंदन ।

Click here to read poem "AALHA"

Tuesday, November 10, 2009

अमन चैन


आजाद नहीं पर एक मुल्क थे भारत और ए पाकिस्तान
मुक्त धरा बस एक था सपना चाहे हिन्दू या मुसलमान
मिलजुल रहे दोनों समुदाय आजादी थी एक लड़ाई
एकजुट होकर डटे रहे तो स्वतंत्र रास्ट्र की संज्ञा पाई
जाति अलग हो धर्म अलग हो भेष-भूषा रहन-सहन अलग हो
मानव तो मानव ही होता देश अलग हो खान-पान अलग हो
मानव से मानव के विरोध का जन्मजात नही कोई आधार
पर सत्ता के लोभी जन करते मन में खड़ी अंतर की दीवार
ए तेरा वो मेरा का ही जाप हमेसा करते रहते
वैचारिक मतभेदों वाली जीभ ना रुकती कहते कहते
छोटी सी बात सुलझाने वाली बड़ा मुद्दा बन जाती है
बिना वजह और बिना बिचारे नफ़रत घर कर जाती है
सत्ता की रोटी की खातिर मन में आग लगाई जाती है
भले बुरे का भेद मिटाकर सत्ता की भूख मिटाई जाती है
भारत पाक की जेलों में हजारों एक दूसरे के नागरिक
मानवता से परे झेलते मानसिक शारीरिक कष्ट अनैतिक
कूटनीति की चालों पर कुछ जेलों से छोड़े जाते हैं
पर समय के जाते उसी तादात में फिर से पकड़े जाते हैं
सिग्नल पे जब लाल हो बत्ती तो रुकता हर गाड़ी वाला
रंग बिरंगी चिडियों को पकड़े पास में आता पिजड़े वाला
अभी आजाद करुँ मैं इनको बाबू जी दे दो इतने दाम
ए दुआएं देंगे तुमको सुधरेंगे सारे बिगड़े काम
कभी कोई बड़ा दिल वाला बातों में पड़ जाता है
पंछियों को आजाद कराके वो आंगे बढ़ जाता है
चिड़ीपकड़ के अपने शागिर्द फिर से जाल बिछाते हैं
छोड़े गए अधिकतर पंछी फिर से पकड़े जाते हैं
कहे रजनीश हम सब आपसी सदभाव ना भूलें
दिल में प्रेम बड़ा लाजिमी तो शरहद को भूलें
भारत-पाक में फर्क मिटाकर आओ मिलजुल गायें
अमन चैन का बिगुल बजाकर भारत नया बनाएं
"रचयिता - रजनीश शुक्ला, रीवा (म. प्र.)"
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