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Monday, August 17, 2009

अबोध



पशु पक्षी पावक पवन जन जन में बसते भगवन
जल थल नभ में सबका पालन प्रबल प्रकृति में रहे संतुलन
दशो दिशाओं उनका शाशन हम सब उनकी प्रजा समान
जो सब दिखता उनकी रचना बच्चे हैं उनका वरदान
भागम भाग भागे जीवन तो हो जाये उथल पुथल
बेटे आज समय नहीं है कह लेना सब बाते कल
भावो का अम्बार तो क्या छोटी उसकी अभी उमर
बात वजह की पर बोले कैसे मन जो बैठा है डर
काम तो होगा नाम तो होगा होगा यह बचपन पर
चमन में है रौनक जिनसे बुझने ना पायें तारे जमीं पर
छोटी उमर में जीना मुश्किल कर आया जिम्मेदारी बनकर
उचित नहीं फुर्सत हो जाना आवासीय विद्यालय भेजकर
पॉँच अंगुलियाँ नहीं बराबर पर महत्व कम नहीं रत्ती भर
हर बच्चा जन्म है लेता जन्मजात कुछ प्रतिभा लेकर
हर जन्मे को जिंदगी अपनी जीने का जन्मसिद्ध अधिकार
पर परम्परा परिवार नाम पर होता उनपर अत्याचार
मेरे पालक उपकार बड़ा हो जो पढ़ पाओ मेरा मन
मै तो हूँ मिट्टी कुम्हार की बनाओ गाँधी या वीरप्पन
जीवन तो जीवन था मन में प्रतिशोध तो भारी है
बेटे अनुभव तो मेरा है पर अब यह तेरी बारी है
निज जीवन में जो हो पाया बेटे के जीवन से आशा
मेरे अभिभावक मै अबोध हूँ समझो मेरे मन की भाषा
कहे रजनीश अभी है हम इनसे इनका समय छीने
भविष्य देश का इनके हांथों दे जी भर इनको जीने
छोटे बड़े का भेद मिटाकर आओ मिल जुल गायें
पढ़ अबोध के मन की भाषा भारत नया बनाये

रचयिता:"रजनीश शुक्ला, रीवा (म. प्र.)"

*Photo by Rajneesh Shukla for Bharat Nav Nirman only

3 comments:

Unknown said...

Sir, aapki baat hi alag hai. Kya likha hai, mind blowing. Kya grip hai yar teri language me. tooooo good.

Rupesh Pandey said...

"मेरे पालक उपकार बड़ा हो जो पढ़ पाओ मेरा मन
मै तो हूँ मिट्टी कुम्हार की बनाओ गाँधी या वीरप्पन"

Bahut khoob!!

Anonymous said...

13-Dec-2009,
Chandra Prakash Tiwari,
Indian Air Force,
Yalanka, Bangalore

अबोध शब्द का इस मानव जीवन में बहुत महत्व है | सभी मानवीय भावनाएं अबोध से ही परिपक्वता की ओर अग्रेसित हुई हैं | वास्तव में कहा जाये तो अबोध ही दुनिया का भविष्य है | यह बात सर्वमान्य है की बच्चे कुम्हार की कच्ची मिट्टी के समान हैं | जैसे कुम्हार कच्ची मिट्टी को चाक पर रखकर उसे तरासकर मिट्टी को विभिन्न प्रकार की आकृति देता रहता है , जैसे मिट्टी से बने देवी देवताओं की लोग मंदिर शिवालयों में पूजा करते हैं ,यदि वही अबोध रूपी मिट्टी कल का भविष्य और तारनहार है तो उसकी अवहेलना क्यूं ? क्यूं उसका महत्व नगण्य समझा जाए | यह बहुत अनुचित है की इनके पालन पोषण में जाने अनजाने में कोताही बरती जाती है |
बच्चों के मन की सवेंदन शील भावनाओं को बहुत बढ़िया तरीके से आरेखित किया है भारत नव निर्माण ने | good work & keep it up !!!

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